बिछड़ती यादें संभालूं कैसे?

बेनाम था वो रिश्ता, जिससे हाल-ए-दिल बयान किया, गुमनाम था वो चेहरा, फिर भी मेरे सपनों की परछाई बना. दोस्ती के मायने क्या समझूं, जब दोस्त ही पल भर में बदल जाते हैं, इन मिट्टी के पुतलों को कैसे संजो कर रखूं, जो गीले होते ही बिखर जाते हैं. करीब तो नहीं थे, लेकिन दूरियां …

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उसकी खुशियों से उसको मिला दे…

अपने सारे वादे तोड़ जो दिए मैंने, उसके भरोसे को ही तोड़ दिया, उसके सवालों की गुत्थी सुलझाने की जल्दबाजी में, उसको इसी कश्मकश में अकेला कर दिया. वो दोस्ती, वो प्यार कोई मेहरबानी न थी, सब सच था जब तक ये कहानी न थी, कई घाव, कुछ चोटें जो दे दी हैं मैंने उसे, …

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